Sunday, March 31, 2013

पलाशी

     जब प्रकृति उत्सव मनाती है पलाश के फूलों से और दुनियां सिंदूरी हो जाती है तब होली का त्योहार आता है, और फिर सबमें एक दूसरे को रंगीन करने की होड़ सी लग जाती है. बचपन में हमनें भी खूब होली खेली है, पर सच कहें तो होली का हुड़दंग कभी पसंद नहीं आया.. फिर धीरे धीरे हमारी होली में सादगी समाती गयी, रंगों में रासायनिक मिलावटें और उनके दुष्प्रभावों नें फिर धीरे धीरे हमें इनका दुष्मन बना दिया..
     इस बार भी होली की पूर्वसंध्या पर जब दुनियां रंगीन होनें की तैयारीयों में जुटी थी, हम अपनें घर की छत पर  डूबते हुए सूरज को निहार रहे थे..




     जैसे जैसे पेड़ो के पीछे से लुकाछिपी खेलता हुआ सूरज नीचे आता जा रहा था, उसकी खूबसूरती बढ़ती जा रही थी..




     आसमान सिंदूरी हो गया था, जैसे चारों ओर पलाश के फूल खिलें हों; या जैसे सूरज अभी ही हमसे होली खेलनें को उतावला हो..








     मैनें सारे के सारे रंग अपनें कैमरे में भर लिए थे.. और फिर जब वो जानें लगा तो जाते जाते हम उससे बस इतना ही कह सके:
"जब जब मेरे घर आना;
तुम फूल पलाश के ले आना.."






Saturday, March 16, 2013

Random Clicks #01

   कभी कभी यूँही हम कुछ ऐसी तस्वीरें अपनें कैमरे में कैद कर लेते हैं, जो उस वक्त कुछ खास नहीं लगतीं.. पर बाद में जब इत्मिनान से हम सारी तस्वीरों पर  निगाह डालते हैं तो हमारी नजर उन तस्वीरों पर ठहर सी जाती है और ये दिल बरबस ही कह उठता है: 'अरे वाह..!!'..
   'Random Clicks' की श्रृंखला उन खास तस्वीरों को एक धागे में पिरोने का प्रयास है..






वैसे.. 'Random Clicks' जरा जँच नहीं रहा.. अगर आपके मन में इस श्रृंखला के शिर्षक के लिए कोई बेहतर विकल्प है तो कृपया सुझाएँ...