इस फूल को जब मैने देखा था, ये जिस तरह छुपा हुआ मुझे निहार रहा था.. मुझे लगा जैसे मुझे ये कुछ याद दिला रहा है.. ऐसे भी छुप-छुप कर देखने मे एक खूबसूरती होती है.. फिर इसे देखते देखते पता नहीं कब मेरा ह्रदय अनायास गीतांजलि के इस गीत में डूब गया...
"Aamar hiyar majhe lukiye chile dekhte aami paai ni..
Tomay dekhte aami paai ni..
Bahir pane chokh melechi,aamar hridoy pane chaai ni.."
जो बेंगोली नहीं समझते, वे नीचे इसका अंग्रेजी अनुवाद देख सकते हैं..
"Thee were hidden in my heart, so I could't find thou art, I didn't see thou art..
My eyes wandered all outsides, I didn't peeked my inside.."
कितनी अच्छी तरह व्यक्त किया है इसे रवीन्द्रनाथ नें, शायद सबसे अच्छी तरह.. गीतांजलि मेरे सबसे प्रिय काव्यों में से एक है, जब भी फुर्सत हो आप इसमें डूब सकते हैं.. पूरी तरह.. और फिर जब आप गोता लगा कर वापस लौटते है, आपके हाथ में कुछ मोती होते हैं.. और ये मोती आपको फिर फिर वापस गोता लगाने के लिए आमंत्रित करते हैं...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (14-11-2014) को "भटकता अविराम जीवन" {चर्चा - 17976} पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
बालदिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
धन्यवाद... शास्त्री जी......
Deleteबहुत ही खूबसूरती से कैद किया है आपने बहुत आकर्षित किया प्रशान्त जी
ReplyDeleteबहुत बहुत शुक्रिया.. :)
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