जब भी हम दिल से कोई इच्छा करते हैं, तो वह देर-सबेर जरूर ही पूरी होती है.. जब मैं यहां पिछली बार आया था तो यहां की हरियाली और खूबसूरती ने मेरा मन मोह लिया था, और कैमरा साथ न लाने की गलती से बहुत पछतावा भी हुआ था.. पर जब दुबारा यहां आने का मौका हाथ लगा तो मैं पूरी तरह तैयार था..
'योगदा सत्संग सखा आश्रम', रांची के दिल मे बसता है.. शहर के बीचो-बीच ऐसी मनोरम और प्राकृतिक जगह बहुत कम देखने को मिलती है..
यहां का स्मृति भवन खास है.. सफेद संगमरमर से बना यह मंदिर एक छोटे ताजमहल जैसा दिखता है.. किसी भी कोने से यह आपका ध्यान खींच ही लेता है..
ध्यान मंदिर यहां की सबसे शांत जगह है, यहां भीतर ध्यान और प्रवचन होते हैं..
परमहंस योगानंद जी का कमरा, और उनकी इस्तेमाल की हुई कुछ चीजें भी यहां संजो कर रखी गईं हैं.. यह लीची का वृक्ष भी खास है, क्यूंकि इसी पेड़ के नीचे वे अपने शिष्यों को ज्ञान दिया करते थे..
प्रकृति, ध्यान, शांति और आनंद के ऐसे बेजोड़ संगम में आ कर हमारा पूरा समूह भी बहुत प्रभावित था...