Wednesday, February 15, 2012

उत्सव

दोपहर से बारिश हो रही है, आसमान बादलों से ढका है और शाम बहुत सुहावनी लग रही है।
मैं वर्तमान में हूँ और आस्तित्व के इस उत्सव में अनायास ही शामिल हो गया हूँ। वर्तमान में होना कितना आनंददायी है। मैं अपनें कमरे में बिलकुल अकेला हूं, पर वर्तमान मे होने से हम कभी भी अकेले नहीं होते। हमारा मौन, हमारा ध्यान और पूरा आस्तित्व हमारे साथ होता है।
असल में ये सब हम ही होते हैं, हम आस्तित्व के साथ एक हो जाते हैं। ऐसे क्षण में हम एकांत में भी होते हैं और अकेले भी नहीं होते।

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